शनिवार

जान जोखिम में डाल दो वक्त की रोटी जुगाड़ रहे है मासूम


जान जोखिम में डाल दो वक्त की रोटी जुगाड़ रहे है मासूम  

पापी पेट  गरीबी आदमी को  जाने क्या-क्या करने के लिए मजबूर कर देती है। इसका ताजाउदाहरण आजकल लोगों को बक्सर की सड़कों पर सरेआम देखने को मिल रहा है। स्कूल जाने कीउम्र में एक छोटी बच्ची अपने पेट की आग को बुझाने के लिए दो बासों के बीच झूलते  एक रस्से परचलकर लोगों का मनोरजन करती है। 
 उक्त लड़की ने उस समय दर्शकों की खूब तालिया बटोरी जब उसने सिर पर कई लुटिया रखकरसाइकिल के चक्के के साथ रस्सी पर चलने का करतब दिखाया।लड़की के पिता जगदीश साह नेबताया कि वह झारखण्ड का रहने वाला है। वक्त की मार से लड़कर अपने परिवार का गुजारा चला रहाहै। उसने बताया कि उसके पास तीन बच्चे हैजिनमें कल्याणी सबसे बड़ी है। गरीबी के चलते उसेअपने बच्चों से जोखिम से भरे ऐसे करतब करवाने पड़ रहे है। जबकि उसका भी मन करता है कि वहअपने बच्चों को उच्च शिक्षा दिलवाकर उन्हे कुछ बना सके। लेकिनवह इतना गरीब है कि अपनेबच्चों को पढ़ाने में असमर्थ है अलबत्ता बच्चों द्वारा ही लोगों को करतब दिखाने से उसे जो रुपया मिलता हैउससे ही वह अपने परिवार का पालन-पोषण कर रहा है। उसने रूंधे स्वर में कहा किकिसका मन करता है कि वह अपने छोटे-छोटे बच्चों से ऐसे जोखिम भरे खेल करवाकर उनकीजिन्दगी को दाव पर लगाए। लेकिन गरीबी ऐसी चीज हैजो व्यक्ति को कुछ भी करने के लिए मजबूरकर देती है।

उसने बताया कि  तो उसके पास रहने को छत है और  ही बच्चों को दो वक्त की रोटी देने का कोईजुगाड़। लोगों को खेल दिखाकर यदि कुछ मिल जाता हैतो वह उससे ही अपने बच्चों कोखिला-पिला पाता है। जगदीश की पत्नी दुर्गावती ने कहा की अब यह उनका पुश्तैनी धधा बन चुकाहैजिसे सारे परिवार ने दिल से स्वीकार कर लिया है क्योंकि उनके पास इससे ज्यादा करने के लिएकुछ है भी तो नहीं।

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