बड़ा बाग बा…बड़ा लाग बा जिंदगी बा अझुराईल
कहीं रौशनी लउकत नइखे आसमान बा बदराईल…. आसमान बा बदराईल
डगर-डगर पर काँट बिछल बा पनघट-पनघट धोखा
फुल-फुल विष से मातल बा मौसम बा भंगियाइल…मौसम बा भंगियाइल
जात-पात में भूलल केहू, केहू मंदिर मस्जिद
केहू गिरजाघर गुरुद्वारा मानव धर्म भुलाईल …मानव धर्म भुलाईल
लोग बाग के छल प्रपंच में नाक-कान ले डुबल आगे पाछे कुछ ना सूझे
स्वारथ बा गड़ुआइल…… स्वारथ बा गड़ुआइल ….
लहकत बा केहू के छाती लहकत मडई-भुसहुल
माल-जाल के के कहो आदमी ले झोकराइल आदमी ले झोकराइल …
बम फूटता जहवाँ तहवाँ गरदन कहीं कटाता
देश लुटाता देश बिकाता दुश्मन बा अगराइल..... दुश्मन बा अगराइल
केहू नइखे आगे आवत नइखे आग बुझावत
नीमन लोग किनारा कइके आपन माल लुकाइल ....आपन माल लुकाइल
साधू संत के भेष भर बा योग युगुत कुछ नइखे
राह रहन इनकर बा जुगुआइल आ भसिआइल…. जुगुआइल आ भसिआइल
कहवा बा बिश्वास आस अब कहवा माथ टेकाई
जहवा जइबा उहे लुटईबा सब बाटे खखुआइल... सब बाटे खखुआइल
आपन भाग्य सावारा अपने आपन ज्योत जगावा
भैया शक्ति बटोरा आपन जेतना बा छितराईल ……जेतना बा छितराईल
बाहर से ना आवे कुछुओ अन्दर शक्ति भरल बा
जैसे तकबा तैसे भीतर लहकी बा आग दबाईल…लहकी बा आग दबाईल
उठा आगाड़ी आवा तू मुहवा जोहल छोड़ा
जहावा भइला ठाढ़ देहिया झार भुत पराई ….देहिया झार भुत पराई
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