शनिवार

सुनील पाण्डेय की अब तक जीवन यात्रा




माफिया कहलाने की चाहत ने शाहाबाद की उपजाऊ जमीन को कई बार खून से सीचा है.. यहाँ के घरों में खेला जाता रहा है खुनी खेल.. नेता बनना हो तो बैलेट नहीं बुलेट का जोर होना जरूरी माना जाता रहा है.. और शाहाबाद के इस क्षेत्र में बुलेट के बल पर कई लोग नेता भी बने पर इन सबों में नम्बर एक की कुर्सी पर विराजमान है वर्तमान में तरारी विधानसभा से जद (यु) के विधायक नरेंद्र पाण्डेय उर्फ़ सुनील पाण्डेय... जिसके नाम मात्र से कभी थर्रा उठती थी शाहाबाद की धरती.. जिसका नाम लगातार दर्जन भर लूट और हत्याओं समेत कई संगीन मामलों में आता रहा... अंडरवर्ल्ड डॉन और बॉस के नाम से विख्यात सिल्लू मिया से जरायम की दुनिया का गुर सिखने वाले सुनील ने अपने गुरु का ही कर दिया काम तमाम और बन गया अपराध की दुनिया का बेताज बादशाह.. अपराधिक गतिविधियों के साथ खूब पैसा बनाया और तैयार कर ली राजनितिक जमीन.. फिर अपने सहोदर भाई हुलास को अपराध की दुनिया का बनाया नूर और खुद बन गया इलाके का विधायक... समय बीतता गया और भाई को भी राजनीति में लेकर आया बक्सर-आरा सीट से विधान पार्षद बनाकर..

                 
      माला पहने हुए सुनील पाण्डेय और उनके भाई हुलास पाण्डेय 
    
                                सुनील के पिता कामेश्वर पाण्डेय सेना में लेफ्टिनेंट थे पारिवारिक हालात ऐसे बने की उन्हें नौकरी छोड़ कर वापस गाँव आना पडा उस दौर में यादवों के आतंक से रोहतास जिले का नवाडीह गाँव के लोग परेशान थे उनकी जमीने हडपी जाने लगी थी.. ऐसी परिस्थिति में परिवार के लोगों को सुरक्षा प्रदान करने के लिए सुनील के पिता कामेश्वर पाण्डेय गाँव की राजनीति में हस्तक्षेप करने लगे.. लिहाजा उनके दुश्मनों की संख्या बढ़ने लगी तब उन्होंने आपराधिक छवि के लोगों के साथ दोस्ती गांठनी शुरू की.. और उसके बाद शुरू हुआ अपराध की दुनिया के लोगों का सुनील के घर आना-जाना.. सुनील पाण्डेय भी इसी क्रम में इन दागदार लोगों के संपर्क में आया.. बचपन से पढने में तेज तर्रार छात्र सुनील ने प्राकृत से एम ए किया है और पी एच डी की डिग्री भी ली है.. लेकिन उसने पढाई से कुछ ख़ास करने के बजाय अपराध की दुनिया में ही हाथ पाँव पसारा ...कुख्यात सिल्लू मियाँ और शेखर दादा जैसे लोगों से संपर्क में होने की वजह से क्षेत्र में उनका खौफ कायम हो गया .. सन 1991 में फखत एक रिवाल्वर के लिए सुनील पाण्डेय के पिता की ह्त्या कर दी गयी.. और इस ह्त्या में नाम आया कुख्यात रामू ठाकुर का.... इधर सुनील पाण्डेय की आपराधिक छवि तैयार हो चुकी थी.. इलाके के बाहर भी सुनील के कारनामों के चर्चे होने लगे थे.. अब सुनील भी पिता की हत्या के बाद बदले की आग में जलने लगा था .. पिता के हत्यारे से बदला लेना कभी सुनील की जिंदगी का एकमात्र मकसद बन गया था पिता के हत्यारे को सुनील ने मारकर बदला ले लिया.. उसके बाद सुनील पाण्डेय ने अपने पिता की विरासत संभालने का बीड़ा उठाया... और अपने पिता के दोस्तों के साथ उनके धंधों में कदम रख दिया... फिर क्या था एक झटके में इंजीनियरिंग का एक मेधावी छात्र क्राइम की दुनिया का हथियार बन गया ..सुनील के बारे में बताया जाता है की वह बैंगलोर में इंजीनियरिंग की पढाई कर रहे थे और उस दौरान वे पढाई में अव्वल आते रहे थे.. लेकिन पिता की हत्या के बाद पारिवारिक असुरक्षा के कारण उन्हें इंजीनियरिंग की पढाई बीच में ही छोडनी पड़ी थी.. इंजीनियरिंग की पढाई के दौरान ही बैंगलोर के कुछ छात्र सुनील से उलझ गए थे और सुनील की पिटाई कर दी थी.. इस घटना से सुनील पाण्डेय के अन्दर बदले की आग पनप गयी थी और झगडे के कुछ दिनों बाद ही सुनील ने उस लड़के को चाक़ू मार दिया जिससे उनकी झड़प हुयी थी ..कारण चाहे जो भी रहा हो यह घटना सुनील के जीवन का पहला अपराध था.. इस घटना ने सुनील को सुनील से साहब बना दिया .. अब कॉलेज के छात्रों के बीच सुनील ‘साहब’ के नाम से जाना जाने लगा.. अपराध की दुनिया का ठप्पा लगने के बाद सुनील को माफिया और पैसे वाला बन्ने की ललक पैदा हो गयी ...और देखते ही देखते सुनील जुर्म की दुनिया का चमकता हुआ सितारा बन गया ...अपराध जगत में कदम रखने के बाद सुनील ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और निरंतर घटनाओं को अंजाम देता रहा ..  
                          
                           सिल्लू मियाँ के साथ सुनील पाण्डेय (ट्रैक सूट में हथियार के साथ)

                                                             कुछ ही दिनों में सुनील ‘साहब’ के नाम से प्रख्यात हो गया.. इसकी आपराधिक गतिविधियाँ भोजपुर में ही नहीं अलग अलग प्रदेशों में भी होने लगी .. आरा शहर में क्राइम के बादशाहों की बैठकें होने लगी .. हर शाम आरा रेलवे स्टेशन के पास निरामिष होटल में अंडरवर्ल्ड से जुड़े लोगों की मीटिंग होती उस समय .. सिल्लू मियाँ उर्फ़ बॉस , सुनील पाण्डेय, प्रमोद सिंह, कुश सिंह, रशीद पहलवान समेत कई हस्तियाँ एक साथ मिलतीं और आपराधिक योजना बनाए जाते.. सूत्र बताते हैं की सहियार गाँव में एक शादी के दौरान जहाँ जुर्म की दुनिया के दर्जन भर से ज्यादा बड़े क्रिमिनल मौजूद थे वहां सुनील पाण्डेय गडहनी ग्रामीण बैंक लूट कर पहुंचा था .. और बॉस सिल्लू मियाँ को इसकी जानकारी दी थी .. जी हाँ यह वहीँ सुनील पाण्डेय है जिसके नाम मात्र से अपराध की दुनिया के लोग भी थर्रा उठते थे ..आगे चलकर अंडर वर्ल्ड की दुनिया में सुनील को 'इंजिनियर' के नाम से भी जाना जाने लगा ..यहाँ से शुरू हुआ सुनील पाण्डेय का राजनितिक सल्तनत विस्तार..और इन मुख्य घटनाओं में आया सुनील पाण्डेय का नाम ..

                          हुआ यूँ कि आरा सिविल कोर्ट बम ब्लास्ट के मास्टर माईंड लम्बू शर्मा की गिरफ़्तारी के बाद किये गये खुलासे ने राजनितिक गलियारों में हडकंप मचा दी थी दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल को जो जानकारी लम्बू शर्मा ने दी थी उसके बाद माफिया डॉन और विधायक मुख्तार अंसारी की हत्या की कोशिश एक बार फिर नाकाम हो गयी जब दिल्ली की स्पेशल सेल ने बिहार के कुख्यात शूटर लम्बू शर्मा को धर दबोचा था. लम्बू ने मुख्तार की हत्या के लिए 5 करोड़ की सुपारी मिलने की बात कबूल की थी। लम्बू शर्मा से हुए खुलासे ने आगरा जेल में बंद मुख्तार की हत्या की साजिश का जो पर्दाफाश किया वह किसी फ़िल्मी कहानी सरीखा था। लंबू शर्मा ने पूछताछ में बताया था कि वह मुख्तार अंसारी की हत्या की योजना में था। इसके लिए उसने पांच करोड़ रुपये की सुपारी ली थी। उसमें उसे 50 लाख रुपये एडवांस मिल भी चुके थे। शेष रकम काम के बाद मिलनी थी। आरा(बिहार) के पीरो बाजार स्थित गांधी चौक का रहने वाला सच्चिदानंद उर्फ लंबू शर्मा को यह सौदा उसके साथी चांद ने कराया था। बिहार का ही रहने वाला चांद कभी मुख्तार से जुड़ा था लेकिन अब वह उनके जानी दुश्मन बृजेश सिंह के साथ है। चांद को बृजेश सिंह के करीब ले जाने वाला कोई प्रमोद सिंह था। वह चाहता था कि लंबू मुन्ना बजरंगी को ठिकाने लगाए लेकिन बृजेश ने उसे पहले मुख्तार अंसारी के खात्मे के लिए तैयार किया। उसमें बिहार के जदयू के बाहुबली विधायक सुनील पाण्डेय तथा उनके एमलसी भाई हुलास पाण्डेय ने अहम भूमिका निभाई थी। दोनों भाई बृजेश सिंह से जुड़े हैं। सब कुछ तय होने के बाद बात आई कि आरा कोर्ट में बम बलास्ट कांड में उम्र कैद की सजा भुगत रहे लंबू शर्मा को न्यायिक हिरासत से कैसे मुक्त कराया जाए। जदयू के दोनों भाइयों ने योजना बनाई। एक अन्य मामले में बीते 23 जनवरी को लंबू शर्मा की आरा कोर्ट में पेशी थी। कोर्ट में लंबू की माशूका नगीना देवी मिलने आई। योजना के मुताबिक नगीना को धोखे से मानव बम बना दिया गया । मुलाकात के लिए कोर्ट में जाने से पहले नगीना को टिफिन दिया गया। बताया गया कि इसमें खुफिया कैमरा लगा है। मुलाकात के लिए यह जरूरी है। गहरी साजिश से अनजान नगीना वह टिफिन लेकर कोर्ट में पहुंची तभी रिमोट से टिफिन में रखा बम उड़ा दिया गया। नगीना मौके पर ही मारी गई। उसी बीच भगदड़ का लाभ उठा कर लंबू भाग निकला। फिर वह दिल्ली गया। साथी चांद की मदद से वह जदयू के सांसद गुलाम रसूल बलियावी के आवास पर रुका। उसके बाद ‘ऑपरेशन मुख्तार’ पर काम शुरू हुआ। चांद के जरिये लम्बू शर्मा आगरा जेल पहुंचा। एक शुभेच्छु की हैसियत से वह मुख्तार से मिला। साथ ही मुख्तार की सुरक्षा की तैयारियों का जायजा लिया। फिर योजना का ब्लूप्रिंट तैयार करने में लंबू जुट गया। कृष्णानंद हत्याकांड और मकोका के मामले में मुख्तार की प्रायः हर माह दिल्ली की कोर्ट में पेशी होती है। लंबू शर्मा की योजना यही थी कि आगरा जेल से दिल्ली के बीच रास्ते में मुख्तार पर वह सटीक हमला करेगा लेकिन संयोग रहा कि वह योजना अमल में आती कि उसके पहले ही लंबू शर्मा 23 जून की रात दिल्ली के महाराणा प्रताप अंतरप्रांतीय बस अड्डे से पकड़ा गया। इस सबके बीच सतर्क मुख्तार अंसारी को एक मामले में गाजीपुर की अदालत में बीते सोमवार को पेश होना था मगर वो पेशी पर नहीं पहुचे  | हलाकि एक अन्य मामले की जाच में आरा पहुचे शाहाबाद के डीआईजी मो रहमान ने इस सन्दर्भ में पहली बार बताया था कि दिल्ली पुलिस ने लम्बू के जो भी बयान लिए है उसकी जानकारी भोजपुर पुलिस को नहीं है जेडीयू के बाहुबली विधायक और उसके ऍमएलसी भाई हुलास पाण्डेय की संलिप्तता वाली सवाल पर डी आई जी ने कहा था की यह जाँच का विषय है और दोषी पाये जाने वाले लोगो पर करवाई होगी
उसके बाद पुलिस ने
26 जून को ट्रांजिट रिमांड पर आरा लायी थी ..फिर एक जुलाई को पटना ए डी जी ने मीडिया को बताया था की लम्बू शर्मा ने जदयू के विधायक सुनील पाण्डेय का नाम लिया था .. 2 जुलाई को भोजपुर पुलिस ने पहली बार लम्बू शर्मा को तीन दिनों के लिए रिमांड पर लिया था दो जुलाई को ही सुनील पाण्डेय भोजपुर एस पि से मिले थे और लम्बू से किसी भी तरह के कनेक्शन से इनकार किया था  फिर सात जुलाई को पटना हाई कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लिया था और केस के अनुसंधानक को लेकर भोजपुर पुलिस अधीक्षक को कोर्ट में बुलाया था और लम्बू को पनाह देनेवालों को भी अभियुक्त बनाने का आदेश दिया था आठ जुलाई को फिर लम्बू शर्मा को पुलिस ने रिमांड पर लिया था उसके बाद 11 जुलाई को सुनील पाण्डेय को गिरफ्तार कर लिया गया

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