हर साल की तरह दशहरा इस बार भी निभा ही लिया
एक बार फिर रावण मार कर जश्न मना ही लिया
लेकिन दिलो में बसे रावण को हम साल भर पालते है
क्योकि अपनी लंका को सोने की बनाने को जो ठानते है
और साल में एक बार अपने दिलो को सकूं देने के लिए
दिखावे के लिए ही रावण को मार कर खुद को राम जानते है
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