बुधवार


भोजपुर  जिला  का  इतिहास  बड़ा  ही  गौरवर्पूर्ण रहा  है यहाँ चप्पे -चप्पे पर इतिहास के पांवो के निशान कायम है इतिहास के पन्नों पर गौर करें तो महर्षि जनक,महर्षि विश्वामित्र,पुरुषोत्तम राम लक्ष्मण ,तिर्थकर महावीर ,गौतम बुध मैगास्थनीज़,फाहियान,ह्वेनसांग,सम्राट अशोक शेरशाह सुरी .गुरु गोविन्द सिंह ,पाण्डवों समेत अन्य एतिहासिक धार्मिक व  राजनैतिक व्यक्तियों  का यहाँ पदार्पण हो चुका है यहाँ निरन्तर सृजनात्मक व सामाजिक गतिविधियाँ जनसमुदाय के बीच विभिन्न  कार्यक्रमों के माध्यम से होती रही है पर अजीब विडंबना है इस जिला के प्रमुख शहरों व रेलवे स्टेशनों की........... जहां, दर्जनों की संख्या में कई माह व वर्षों से गुमनामी की खामोशी भरी ज़िन्दगी जिने के लिए मजबूर है कई अबलाये...... कभी भूख, गर्मी, चिलचिलाती धुप, लू के थपेड़ों, बरसात का कहर तो कभी जाड़े के दिनों में रूह कंपा देने वाली कडाके की ठंढ को बर्दाश्त करते हुए ,कहाँ घर है, कहाँ हम हैं, कौन माँ-बाप है, क्या नाम है, तक की याद नहीं  शरीर पर शर्म या वस्त्र है की नहीं इसकी फिक्र नहीं,फिर भी जिन्दा लाश बनके जिने की विवशता....

                                                                    राष्ट्र कवि रामधारी सिंह दिकर ने कहा था की नारि तुम श्रद्धा हो विश्वास की  शाम  की सूर्यास्त होते  ही अर्धविक्षिप्त नारियों व युवतियों के साथ हवस के दरिंदों की हैवानियत को आँखों के सामने देखने वाली पुलिस व प्रशाशन क्यूँ कुछ भी कहने व करने से कतरा रही है ? गुमनाम नारियों की आबरू को तार तार करते व उनके शरीर पर लगे दाग तथा खून लगे कपड़ों से सहज अनुमान लगाया जा सकता है की रात  के अँधेरे में इनके साथ क्या किया  जाता है ! इसके बावजूद भी अपनी मानसिक संतुलन खो चुकी ये अबलायें सब   कुछ सहन   करने के बाद भी खामोश   रहती हैं ! यहाँ   तक की कुछ युवतियां   समय   से काफी   पहले   ही गर्भवती   हो   जमाने  की यातना   सहने   को विवश   है  ! दिसंबर   2009  में सामाजिक  अधिकारिता   मंत्रालय   के जारी आदेश पर बिहार सरकार  के मुख्य   सचीव   द्वारा राज्य के सभी   जिलाधिकारियों   को पत्र भेजकर भीख मांगकर गुजारा करने वालों ,फूटपाथ पर रात गुजारने वालों ,निः शक्त लोगों ,अर्धविक्षिप्त लोगों  को चिन्हित कर पुनर्वास योजना के तहत बेहतर इलाज़ ,रोजगार की व्यवस्था परिजनों तक पहुंचाने व खान पान दवा आदि की व्यवस्था सुनिश्चित किये जाने का फरमान जनवरी 2010 में  जारी किया गया था !
                                                                     जारी फरमान में इस मामले में सामाजिक संगठनों का भी सहयोग लिए जाने की चर्चा की गयी थी !वहीँ सामाजिक कल्याण विभाग की मंत्री परवीन अम्मानुल्लाह  ने उक्त प्रकरण में कल्याणकारी योजना के तहत हर तरह की सुविधा मुहैया कराने सम्बन्धी मंजूर प्रस्ताव से अवगत  कराया था और हर सुविधा मुहैया  कराने की बात भी कही थी
इसके वावजूद भी इस जिले की आरा ,बिहियां व  पिरो रेलवे स्टेशन सहित जगदीशपुर आरा बिहिया पिरो सन्देश गड़हनी  कोइलवर बडहरा और हसनबाज़ार के बाज़ारों में सड़कों पर दिन रात विचरण करने वाली इन नारियों को देखने के बाद भी प्रशाशन के अधिकारियों की आँखों से ये सब कुछ दिखाई क्यूँ नहीं देता है क्या सही में दीखाई नहीं देता या देखकर भी नहीं देखना चाहते है 
संवेदन शून्य पुलिस व प्रशाशन की आँखों के सामने जिले के प्रमुख शहरों व रेलवे स्टेशनों में दर्जनों अर्धविक्षिप्त नारियों व युवतियों को बहसी दरिंदों द्वारा कब तक हवस का शिकार बनाया जाता रहेगा ? केंद्र व राज्य सरकार द्वारा जारी आदेश इनके लिए कब तक लागू किये जायेंगे ? इन सवालों का जवाब देने वाला कोई नहीं है आखिर क्यूँ ?
  

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