भोजपुर जिला का इतिहास बड़ा ही गौरवर्पूर्ण रहा है यहाँ चप्पे -चप्पे पर इतिहास के पांवो के निशान कायम है इतिहास के पन्नों पर गौर करें तो महर्षि जनक,महर्षि विश्वामित्र,पुरुषोत्तम राम लक्ष्मण ,तिर्थकर महावीर ,गौतम बुध मैगास्थनीज़,फाहियान,ह्वेनसांग,
राष्ट्र कवि रामधारी सिंह दिकर ने कहा था की नारि तुम श्रद्धा हो विश्वास की शाम की सूर्यास्त होते ही अर्धविक्षिप्त नारियों व युवतियों के साथ हवस के दरिंदों की हैवानियत को आँखों के सामने देखने वाली पुलिस व प्रशाशन क्यूँ कुछ भी कहने व करने से कतरा रही है ? गुमनाम नारियों की आबरू को तार तार करते व उनके शरीर पर लगे दाग तथा खून लगे कपड़ों से सहज अनुमान लगाया जा सकता है की रात के अँधेरे में इनके साथ क्या किया जाता है ! इसके बावजूद भी अपनी मानसिक संतुलन खो चुकी ये अबलायें सब कुछ सहन करने के बाद भी खामोश रहती हैं ! यहाँ तक की कुछ युवतियां समय से काफी पहले ही गर्भवती हो जमाने की यातना सहने को विवश है ! दिसंबर 2009 में सामाजिक अधिकारिता मंत्रालय के जारी आदेश पर बिहार सरकार के मुख्य सचीव द्वारा राज्य के सभी जिलाधिकारियों को पत्र भेजकर भीख मांगकर गुजारा करने वालों ,फूटपाथ पर रात गुजारने वालों ,निः शक्त लोगों ,अर्धविक्षिप्त लोगों को चिन्हित कर पुनर्वास योजना के तहत बेहतर इलाज़ ,रोजगार की व्यवस्था परिजनों तक पहुंचाने व खान पान दवा आदि की व्यवस्था सुनिश्चित किये जाने का फरमान जनवरी 2010 में जारी किया गया था !
इसके वावजूद भी इस जिले की आरा ,बिहियां व पिरो रेलवे स्टेशन सहित जगदीशपुर आरा बिहिया पिरो सन्देश गड़हनी कोइलवर बडहरा और हसनबाज़ार के बाज़ारों में सड़कों पर दिन रात विचरण करने वाली इन नारियों को देखने के बाद भी प्रशाशन के अधिकारियों की आँखों से ये सब कुछ दिखाई क्यूँ नहीं देता है क्या सही में दीखाई नहीं देता या देखकर भी नहीं देखना चाहते है संवेदन शून्य पुलिस व प्रशाशन की आँखों के सामने जिले के प्रमुख शहरों व रेलवे स्टेशनों में दर्जनों अर्धविक्षिप्त नारियों व युवतियों को बहसी दरिंदों द्वारा कब तक हवस का शिकार बनाया जाता रहेगा ? केंद्र व राज्य सरकार द्वारा जारी आदेश इनके लिए कब तक लागू किये जायेंगे ? इन सवालों का जवाब देने वाला कोई नहीं है आखिर क्यूँ ?
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